स्पेशल स्कूल बैग लेकर जाते हैं जापानी बच्चे
ब्रम्हपुरी/का.प्र.
जब बच्चों के स्कूल या पढ़ाई की बात आती है, तब उनके स्कूल बैग का जिक्र जरूर होता है. हर किसी को उनके स्कूल बैग के बढ़ते हुए बोझ की ही चिंता रहती है. स्कूल बैग के भारी होने का असर बच्चों के कंधों और पीठ पर भी पड़ता है. भारत में बच्चों का स्कूल बैग एक चिंता का विषय है. हालांकि, जापान ने इस मुश्किल का हल निकाल लिया है. यहां पर एक स्पेशल स्कूल बैग काफी पॉपुलर हो रहा है.
इस बैंग का नाम रैंडोसेरु है और ये सिर्फ एक बैग नहीं है बल्कि इससे एकसाथ कई परेशानियां हल हो सकती हैं. बता दें कि यह बैग जापान की संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़ा हुआ है. बाकी स्कूल बैगों से अलग ये बैग लगभग ६ सालों तक चल सकता है लेकिन जापानी लोग इस ट्रेडिशनल स्कूल बैग को इतना महत्व क्यों दे रहे हैं? रैंडोसेरु बस एक ट्रेंडी स्कूल। एक्सेसरी नहीं है बल्कि इसकी शुरुआत १८६८ से १९१२ के बीच मीजी युग में हुई थी. उस समय जापान अपनी शिक्षा प्रणाली का आधुनिकीकरण कर रहा था. नीदरलैंड के सैन बैकपैक से प्रेरणा लेकर इस बैग को तैयार किया गया है. यह बैग जापान में अनुशासन, एकता और शिक्षा का प्रतीक बन गया. आज पूरे जापान में पहली कक्षा के सभी छात्रों के पास इस बैग का होना जरूरी है.