भारत में तैयार होगी एलव्हीएडी डिवाइस
हार्ट ट्रान्सप्लांट का इंतजार होगा खत्म
ब्रम्हपुरी/का.प्र.
भारत लेफ्ट वेट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलपीएडी) विकसित करने की योजना बना रहा है, जो हृदय को रक्त पंप करने में मदद करता है. यह डिवाइस हार्ट फैल्योर की आशंका वाले लास्ट स्टेज के रोगियों की मदद करेगा, जो डोनर हार्ट के लिए प्रतीक्षारत हैं. सरकारी अनुमानों के अनुसार हर साल भारत में लगभग ५०,००० रोगियों को हृदय प्रत्यारोपण की आवश्यकता होती है, लेकिन डोनर हार्ट की कमी के कारण केवल २०० ऐसे ऑपरेशन किए जाते हैं. यही नहीं, हृदय प्रत्यारोपण के लिए औसत प्रतीक्षा समय लगभग ३६ महीने है. इसके अलावा आयातित एलबीएडी की कीमत ७० लाख से १ करोड़ रुपये के बीच पड़ती है. सर्जरी और ट्रांसप्लांट के बाद की देखभाल से जुड़े खर्च अलग से हैं. स्वदेशी रूप से विकसित एलबीएडी आयातित मशीनों पर निर्भरता कम करेगा और भारत में ऐसे रोगियों के लिए हृदय प्रत्यारोपण की लागत कम होगी. परियोजना के अनुसंधान और परीक्षण के लिए करीब १०० करोड़ रुपये की जरूरत होगी.
मिशन पेपर सब्मिट : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को सौंपे गए स्वदेशी रूप से विकसित ‘कृत्रिम मानव हृदय' के विकास और व्यावसायीकरण पर २०२४ नीति आयोग मिलन पेपर में परियोजना के मार्गदर्शन और समय पर पूरा करने के लिए एक व्यापक समिति की स्थापना का सुराव गया है. इस समिति के पास प्रस्तावों को मंजूरी देने और प्रगति निगरानी करने की लिए एक मिशन निदेशालय की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा गया है.
५ वर्ष का समय : थिंक टँक नीति आयोग का अनुमान है कि आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद एलवी को विकसित करने में साल से अधिक का समय लग सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कानपूर, खड़गपूर और दिल्ली आईआईटी के साथ ही श्री चित्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड टेव्नâोलॉजी, कम लागत वाले एलवीएडी और ‘संपूर्ण कृत्रिम हृदय’ विकसित करने के विभिन्न चरणों में हैं, जो अंतिम चरण के हार्ट पैâल्यौर से पीड़ित व्यक्तियों को उपचार प्रदान कर सकते हैं.